Introduction – परिचय
पिछले Blog में हमने कुछ ऐसी Common Financial Blunders पर बात की थी जो 20s में लोग करते हैं। लेकिन वह सिर्फ शुरुआत थी। इस Blog के 2nd Part में हम कुछ और Important Financial Blunders को Discuss करेंगे जो आपको Avoid करनी चाहिये। यह गलतियां आपकी Long-Term Financial Health पर बुरा असर डाल सकती हैं।
तो चलिए शुरू करते हैं आज का ये Blog.
छोटी-छोटी फायदो पर अपना वक़्त बर्बाद ना करें
छोटे-मोटे पैसे कमाने के लिए समय खर्च करना, सबसे बेकार तरीका है टाइम वेस्ट करने का। अक्सर मैं कुछ Youtuber को देखता हूं जो अलग-अलग तरीके के Mobile Apps के ऊपर वीडियो बनाते हैं, जिसमें वह दिखाते हैं कि कैसे Apps से आप हजारों रुपए कमा सकते हैं। उनका पूरा Channel ही इस तरह के Apps के ऊपर होता है, जहाँ वो किसी गेम को खेल कर लाखों कमाते हुए दिखाते हैं।
अब यह करके वह तो पैसा कमा रहे होते हैं लेकिन यहां आपको अपना Common Sense लगाना है कि अगर पैसा कमाना इतना ही आसान होता तो क्या जरूरत है लोगों को इतना पैसा Invest करके Business करने की, या इतना मेहनत करके Job करने की। बहुत से आपको ऐसे Apps मिल जायेंगे जिसमें आपको और बहुत सारे Apps Download करने होते हैं, जिसके लिए आपको कुछ पैसे मिलते हैं। लेकिन आपका सारा दिन निकल जाता है।
वहीं अगर आप वह समय किसी Productive काम में लगायेंगे, तो उससे कहीं ज्यादा आप कमा पायेंगे। कुछ ऐसे Apps होते हैं जहां Refer करके आप कमा पाते हैं और फिर आप लग जाते हैं उस Apps को Refer करने में। एक Refer पर कंपनी आपको ₹10 से ₹15 देती है। आप सारा दिन देकर भी ₹200 से ₹300 भी नहीं कमा पाते हैं। यह आपके लिए तब काम आएगी अगर Refer Amount अच्छा-खासा मिल रहा है या आप अपने Website या Youtube Channel की मदद से उस App को Refer कर रहे हो। तो आप अपने Golden Time को किसी Productive काम में लगाइये ताकि आप उस्से एक अच्छा पैसा कमा सके। नई Skills सीखें, या ऐसे काम करें जिनसे आपको लंबे समय में लाभ मिल सके।
अपनी पढाई को छोड़ कर investment का पीछा ना करें
पढाई छोड़ कर Investment करना एक ऐसी गलती है जो आपको आगे चल कर महँगी पड़ सकती है। Education का मकसद सिर्फ डिग्री हासिल करना नहीं होता, बल्कि अपने Skills को develop करना होता है। जब आप पढाई कर रहे होते हो, तो आप नए concepts, strategies और techniques सीख रहे होते हो, जो आपको long-term success के लिए तैयार करते हैं। Investment एक complex field है, जिसमे financial knowledge, risk management और market का समझ होना ज़रूरी है।
अगर आप अपने education को sacrifice करके सीधा investment शुरू कर देते हो, तो आप अपने foundation को कमज़ोर बना रहे हो। जैसे अगर कोई medical student अपनी पढाई छोड़ कर investment करता है, तो वो अपने career का सबसे important phase miss कर रहा है। Skills के बिना, वो ना तो डॉक्टर बन पायेगा और ना ही invest करने का proper knowledge होगा और दोनों ही areas में वो फ़ैल हो सकता है।
इसलिए, education को priority दो। पहले अपने career में growth करो, अपने skills को strong बनाओ और जब आपको market की समझ हो जाए, तब investment करो। Investment knowledge काफी ज़रूरी है, लेकिन बिना पढाई के investment करना एक बेवकूफी के अलावा कुछ नहीं है।

Delayed Investment का असर
Investment जितनी जल्दी शुरू करो, उतना बेहतर होता है, क्यूंकि समय आपका सबसे बड़ा asset होता है। अगर आप investment को delay करते हो, तो आप अपने returns को significantly reduce कर रहे हो। Compound interest, जो investment का सबसे powerful tool है, समय के साथ ही काम करता है।
जैसे मान लो, अगर एक इंसान 25 साल की उम्र में ₹5000 हर महीने invest करता है, और दूसरा 35 साल की उम्र में वही amount invest करता है, तो पहले वाले इंसान के पास 60 साल की उम्र तक ज़्यादा बड़ा corpus होगा, सिर्फ इसलिए क्यूंकि उसने 10 साल पहले शुरू किया। अगर दोनों 12% का annual return कमाते हैं, तो 25 साल में शुरू करने वाले के पास करीब ₹1.9 करोड़ होगा, जबकि 35 साल में शुरू करने वाले के पास सिर्फ ₹64 लाख होंगे। यह फर्क सिर्फ समय की वजह से हुआ है।
Delayed investment का मतलब है, आप अपने future financial goals को रिस्क में डाल रहे हो। जब आप जल्दी शुरू करते हो, तो छोटी-छोटी amounts से भी बड़े returns generate कर पाते हो। लेकिन अगर आप देर करते हो, तो आपको अपने goals achieve करने के लिए ज़्यादा बड़ा amount invest करना पड़ता है, जो कई बार संभव नहीं होता।
एक और उदाहरण लेते हैं: अगर आप retirement के लिए ₹1 करोड़ का fund बनाना चाहते हो, तो अगर आप 25 साल की उम्र में ₹5000 हर महीने invest करते हो, तो आपको यह goal easily मिल जाएगा। लेकिन अगर आप 40 साल की उम्र में शुरू करते हो, तो आपको यह goal achieve करने के लिए ₹25000 हर महीने invest करना पड़ेगा, जो हर कोई afford नहीं कर सकता।
इसलिए investment को delay मत कीजिये। जितनी जल्दी शुरू करोगे, उतना ही आपका पैसा समय के साथ बढ़ेगा, और आप अपने long-term goals को आसानी से achieve कर पायेंगे। Compound interest का magic सिर्फ तब काम करता है जब आप उसको वक़्त देते हो।

High Risk Assest में invest करना: Risk समझना जरूरी है
जब बात investment की होती है, तो हर इंसान ज़्यादा से ज़्यादा return कमाना चाहता है। लेकिन कभी-कभी यह high returns का लालच लोगों को high risk assets में इन्वेस्ट करने पर मजबूर कर देता है, बिना पूरी तरह risk को समझे। High risk assets जैसे की cryptocurrency, penny stocks, derivatives (F&O), aur venture capital investments, high return का promise करते हैं, लेकिन इनका loss का potential भी उतना ही ज़्यादा होता है। अगर आपने अपनी risk appetite और financial stability को ध्यान में रखे बिना इनमे invest किया, तो आपके financial future को नुक्सान पहुँच सकता है।

Volatility ज्यादा होती है
High risk assets अक्सर काफी volatile होते हैं, मतलब की, इनकी prices में उथल-पुथल काफी ज़्यादा होती है। उदाहरण के लिए, cryptocurrency काफी rapidly fluctuate करती है और एक दिन में ही 20-30% का difference आ सकता है। अगर आप यह fluctuations handle नहीं कर पाते, तो आप panic में गलत फैसला ले सकते हैं।
Returns Unpredictable होते है
High risk assets में invest करना एक gamble की तरह होता है। आपको पता नहीं होता की कब बाजार का sentiment बदल जाए और आपको बड़े नुकसान का सामना करना पड़ जाये। Penny stocks जो अक्सर low-priced होते हैं, उनमे भी यही समस्या होती है। इनका return potential काफी attractive लगता है लेकिन यह stocks ज़्यादा तरक्की नहीं करते या कभी-कभी पूरी तरह से फ़ैल हो जाते हैं।
Emotional Decision Making
High risk investments में अक्सर investors emotional हो जाते हैं। जब prices गिरने लगती हैं, तो लोग panic में आकर अपना investment जल्दी बेच देते हैं और जब prices बढ़ने लगती हैं तो लालच में आकर और पैसे डालने लगते हैं। Fear और greed की वजह से decision making irrational हो जाती है, जो और भी बड़ा नुकसान करवा सकती है।
आपका Financial Goal रिस्क पर होता है
High risk assets में invest करने से आपके long-term financial goals पर भी risk आ जाता है। अगर आपने अपने retirement fund या emergency fund को high risk investments में डाल दिया और उसमे loss हो गया, तो आप अपने financial future को compromise कर रहे हो। High risk assets सिर्फ तब सही होते हैं जब आपके पास extra disposable income हो, जिसे आप खोने के लिए तैयार हो।
Diversification का कम फायदा
अक्सर लोग सोचते हैं की high risk assets को थोड़ा diversify करके invest करेंगे तो risk कम हो जायेगा। लेकिन सच यह है की अगर आपका core portfolio balanced नहीं है और आपका ज़्यादा पैसा high risk assets में है, तो diversification भी आपको नहीं बचा सकती। अगर market crash हो गया, तो आपको काफी बड़ा नुक्सान उठाना पड़ सकता है।
Safer Alternatives
High risk assets में invest करने से पहले हमेशा यह सोचना ज़रूरी है की आपको long-term stability चाहिए या short-term thrills. Index funds, mutual funds, bonds जैसे safer investments भी long-term में अच्छा return दे सकते हैं, लेकिन यह ज़्यादा volatile नहीं होते। Risk को समझकर और अपनी financial situation को analyze करके ही high risk investments में पैर रखना चाहिए।
उदाहरण: एक investor ने अपने portfolio का 50% portion cryptocurrency में invest कर दिया था। जब मार्किट में क्रैश आया, तो उसका investment 40% से ज़्यादा गिर गया और उसने panic में बेच दिया। अगर उसने balanced और safer assets में ज़्यादा इन्वेस्ट किया होता और high risk assets में limited amount रखा होता, तो उसका loss इतना significant नहीं होता।

Investing While Managing Ongoing Loans: संभाल कर कदम रखें
जब आपके ऊपर ongoing loans का burden हो, उस वक़्त invest करना एक complex decision बन जाता है। लोग अक्सर सोचते हैं की loans के साथ भी invest करना चाहिए क्यूंकि investments से high returns कमा कर loan जल्दी repay कर सकते हैं। लेकिन ये approach हमेशा सही नहीं होता। Loans के high interest rate और investments ke returns ka balance बना कर चलना मुश्किल हो सकता है और गलत फैसला financial stress को और बढ़ा सकते हैं।

Interest Rate Vs Investment Returns
अगर आपका loan interest rate आपके nvestment return से ज़्यादा है, तो loan को पहले चुकाना ज़्यादा समझदारी का काम होगा। मान लीजिये आपके personal loan का interest rate 12% है और आपके investments से आपको 7-8% का return मिल रहा है, तो technically आप नुकसान में हो। इसलिए ऐसे cases में पहले अपने high interest loans को clear करना better option होता है।
Debt Trap का खतरा
Loans का unpaid balance आपको एक debt trap में डाल सकता है। जब आपके मंथली EMI already ज्यादा हैं और आप उसके साथ इन्वेस्ट करते हैं, तो आपकी cash flow tight हो सकती है। अगर आपका investment return immediate नहीं आता या loss होता है, तो आपको अपने loans repay करने में struggle करना पड़ सकता है। यह situation financial strain को और बढ़ा देती है।

Investment Timing का भी खतरा
जब आप loans के साथ investment करते हैं, तो investment timing का भी रिस्क होता है। मान लीजिये, आपने high returns के एexpectation में इन्वेस्ट किया लेकिन market crash हो गया या investment returns delay हो गया, तो आप अपने EMI और loans को समय पर चूका नहीं पाओगे। ऐसे cases में आप अपने loans पे भी default कर सकते हो, जो आपके Credit Score को negatively impact करेगा।
Trading in F&O Using Loans
Futures and Options (F&O) वैसे ही एक high-risk investment है, और अगर आप loan लेकर F&O में trade कर रहे हो, तो आप अपने financial health को serious risk में डाल रहे हो। F&O trading में leverage का इस्तेमाल होता है, जिसमे आप कम capital लगा कर बड़े contracts में invest कर सकते हो। यह सुनने में काफी रोमांचक लगता है, लेकिन leverage का मतलब है की अगर market आपके खिलाफ है तो, आपका नुक्सान भी उतना ही ज़्यादा होगा।
जब आप loan लेकर F&O में trade करते हो, तो आप दो तरह के risks face कर रहे होते हो:

Market Risk
F&O market highly volatile होता है। एक छोटी सी price movement भी बड़े नुक्सान या प्रॉफिट का कारण बन सकती है। अगर market आपके खिलाफ गया, तो आप अपना initial capital तो खोते ही हो, साथ ही लोन को चुकाने का pressure भी बढ़ जाता है। मान लीजिये, आपने ₹1 लाख का लोन लिया और F&O में trade किया, अगर market में 10% का drop होता है, तो आप ₹1 लाख से ज़्यादा का नुक्सान कर सकते हो, लेकिन आपको लोन फिर भी चुकाना पड़ेगा।
Interest Risk
Loan लेकर trading करने का एक और risk है interest का। जब आप लोन लेते हो, तो उस पर आपको interest देना पड़ता है, चाहे आपको प्रॉफिट हो या नुक्सान। उदाहरण के तौर पे, मान लीजिये आपने 15% interest rate पर लोन लिया है और आपको F&O trading में लाभ नहीं हुआ, अब आपको अपना capital भी वापस चुकाना है और interest का अलग से आपको एक बोझ भी उठाना पड़ेगा। ऐसी situation में आप debt trap में फँस सकते हो।
एक real-life example देखें: 2020 के COVID crash के समय, कई लोगों ने leverage लेकर F&O trading करी थी। जब market crash हुआ तो कई लोग अपना पूरा पैसा खो बैठे और उनके ऊपर लोन का अतिरिक्त बोझ चढ़ गया। यह सब इसलिए होता है क्यूंकि F&O market unpredictable होता है, और जब आप लोन लेकर ट्रेड करते हो तो आपका रिस्क और भी ज़्यादा बढ़ जाता है।
इसलिए कभी भी लोन लेकर F&O में trade मत करो। यह एक dangerous strategy है जो आपके aapke financial future को बर्बाद कर सकती है। F&O trading करने के लिए आपके पास sufficient capital होना चाहिए, जिसे आप खोने के लिए तैयार हो। लोन लेकर इस field में घुसना एक बड़ी गलती हो सकती है।
Over-Diversification का रिस्क: समझदारी से Diversify करें
Diversification एक अच्छी investment strategy है, जिसका मकसद आपके risk को manage करना होता है। लेकिन अगर आप over-diversify करते हो, तो यह आपके रिटर्न्स को भी negatively impact कर सकता है। “Over-Diversification Ka Risk: Samajhdari Se Diversify Karein” का मतलब है की आप अपने पैसे को इतनी ज़्यादा जगह पे invest करते हो की ना सिर्फ आपका portfolio manage करना मुश्किल हो जाता है, बल्कि आपके return potential पर भी negative impact पड़ता है। ज़्यादा diversification से आप अपने high-performing investments के benefits को dilute कर देते हो, और overall returns कम हो जाते हैं।
इसके कई नुकसान है जैसे:

Concentration Lost
जब आप अपने funds को बहुत ज़्यादा investments में बाँट देते हो, तो आप किसी भी एक particular stock, asset, या sector से significant returns नहीं कमा पाते। उदाहरण के लिए, अगर आपने 50 अलग-अलग stocks में invest किया है, और उनमे से कुछ stocks काफी अच्छा perform करते हैं, तब भी आपको उसका ज़्यादा फायदा नहीं होगा क्यूंकि आपका total portfolio उन stocks में कम invested होगा। इस तरह से आपके high-performing assets के benefits dilute हो जाते हैं।
Management Complexity
जब आपका portfolio बहुत ज़्यादा diversified होता है, तो उसको track करना और manage करना मुश्किल हो जाता है। आपको हर stock, mutual fund, या asset के performance को regular basis पर देखना पड़ता है, जो काफी time-consuming और confusing हो सकता है। Over-diversification के चक्कर में कई बार investors अपने investments को ठीक से monitor नहीं कर पाते है, और कई बार bad performance वाले assets में उनका पैसा फँसा रह जाता है।
Higher Costs
ज़्यादा diversification का एक और नुक्सान होता है higher transaction costs. जब आप multiple investments में पैसा डालते हो, तो हर transaction पे brokerage fees, taxes और other costs लगते हैं। यह छोटी-छोटी costs आपके overall returns को कम कर देती हैं और आप अपने potential gains लूज़ करते हो।
Duplication of Investments
कई बार over-diversification के चक्कर में investors अनजाने में same type के या similar sector के stocks ya mutual funds में invest कर देते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आपने 5 different mutual funds में पैसा invest किया है, तो हो सकता है उनमे से 3 funds में similar stocks हो। इसका मतलब है की आप diversification करने के बजाये duplicate exposure ले रहे हो, जो actual risk को कम नहीं करता, बल्कि आपको उन्ही sectors का repeated exposure दे रहा होता है।
एक real-life example लेते हैं: अगर किसी ने 100 अलग-अलग stocks में थोड़ा-थोड़ा पैसा invest किया, तो उसका portfolio इतना spread out होगा की कोई भी stock का अच्छा performance उसके total returns को significantly impact नहीं कर पायेगा। उसी वक़्त, अगर एक focused portfolio बनाया जाता, जिसमे selected high-potential stocks होते, तो उसके ज़्यादा अच्छे returns generate करने के chances होते।
इसलिए diversification ज़रूरी है, लेकिन उसको एक balance के साथ maintain करना और over-diversify ना करना और भी ज़रूरी है। Best practice यह है की आप अपने portfolio को limited stocks, mutual funds या asset classes तक रखें, जिसमे different sectors का exposure हो लेकिन उनका amount manageable और meaningful हो।
ज्यादा Conservative होने का नुक्सान
Investment में conservative approach लेने का मतलब होता है की आप ज़्यादा risk ना लेने के चक्कर में अपने returns को लिमिट कर रहे हो। यह approach उन लोगों के लिए सही होती है जो risk को बिलकुल tolerate नहीं करना चाहते, लेकिन अगर आप अपने long-term financial goals achieve करना चाहते हो, तो सिर्फ conservative investment strategies आपको कहीं नहीं ले जाएंगी।

Low Returns from Safe Investments
अगर आप अपना पैसा सिर्फ fixed deposits (FDs), savings accounts, या government bonds जैसे low-risk instruments में डालते हो, तो आपको returns भी उसी level के मिलेंगे। इन investments में returns limited होते हैं और inflation को beat करना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के तौर पर अगर आप FD में 6% का interest कमा रहे हो और inflation रेट 5% है, तो आपका real return सिर्फ 1% का होगा।
Inflation Risk
Conservative investments का सबसे बड़ा drawback यह है की आपके returns, inflation से कम हो सकते हैं। जैसे-जैसे चीज़ों की कीमत बढ़ती है अगर आपका पैसा उस तेजी से नहीं बढ़ रहा, तो आपका purchasing power reduce हो जाता है। Long-term goals, जैसे retirement के लिए अगर आप inflation-beating returns नहीं कमा रहे, तो भविस्य में आपको financial struggles का सामना करना पड़ सकता है।
Missed Growth Opportunities
Equity markets या mutual funds जैसे assets, जो थोड़ा riskier होते हैं, आपको long-term में higher returns generate करके दे सकते हैं। लेकिन अगर आप conservative रह कर उनमे invest नहीं करते, तो आप इन opportunities को मिस कर रहे हो। Stock market historically long-term में inflation से ज़्यादा returns दिया है लेकिन conservative investors इन growth opportunities का फायदा नहीं उठा पाते।

Balancing Risk and Reward
यह ज़रूरी नहीं की हर conservative investor को high-risk investments लेना पड़े। आप अपने portfolio में balanced approach रख सकते हो, जिसमे थोड़ा high-risk और थोड़ा low-risk assets का combination हो। उदाहरण के लिए अगर आप अपने portfolio का एक हिस्सा stocks में और दूसरा fixed deposits या bonds में रखते हो, तो आप risk को balance कर पाओगे और returns को optimize कर सकते हो।
उदाहरण: अगर किसी ने अपने 30s में सिर्फ savings account या FDs में invest किया है और stocks या mutual funds को avoid किया, तो वो long-term में equity के growth returns को मिस करेगा। मान लो 20 साल में FD ने 6% का annual return दिया, जबकि equity ने 12% का return दिया। यह 6% का difference, long-term में करोड़ो का फर्क ला सकता है।
Direct Stocks में Invest करने का फायदा
अक्सर लोगों को लगता है की mutual funds में invest करना ही best option है, क्यूंकि mutual funds professionally managed होते हैं और diversification ऑफर करते हैं। लेकिन कभी-कभी direct individual stocks में invest करना भी ज़रूरी और profitable हो सकता है, अगर आपका analysis strong है और आप market को अच्छे से समझते हो।

High Returns का Potential
अगर आप किसी stock के बिज़नेस को समझ के invest करते हो और वो बिज़नेस अच्छा perform करता है, तो आपको mutual funds से ज़्यादा high returns मिलने का chance होता है। क्यूंकि mutual funds diversified होते हैं, वो किसी एक stock से उतना high return नहीं कमा पाते जितना एक individual investor, direct stock से कमा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने किसी growing company के shares सही टाइम पे लिए और वो कंपनी boom कर गयी, तो आप उस growth का full benefit ले सकते हो।
Stocks का Deep Knowledge
जब आप direct stock में invest करते हो, तो आपको कंपनी के business model, balance sheet, income statement, debt level, market potential सब कुछ analyze करना पड़ता है। यह आपको एक deep financial understanding देता है जो आपको long-term investor बनने में मदद करता है। आप मार्किट के cycles, companies के growth factors और उनके challenges को समझ पाते हो, जो आपके overall investment skills को शार्प करता है।
Dividend Income
Direct stock का एक और benefit यह है की आपको dividend income मिलता है। कई companies अपने shareholders को profit में से dividend distribute करती हैं, जो आपके long-term portfolio का एक regular income बन सकता है। Mutual funds में आपको dividend का benefit indirectly मिलता है लेकिन direct stock ownership में आपको यह amount directly आपके Bank में मिलता है, जो कभी-कभी काफी rewarding हो सकता है।

Long-term Ownership
जब आप किसी stock में invest करते हो, तो आप उस कंपनी का एक हिस्सेदार बन जाते हो। मतलब, आप उस कंपनी के growth story का हिस्सा होते हो, जो आपको एक ownership वाली feeling देती है। Mutual funds में आपके investment का एक indirect ownership होता है, जबकि stocks में direct ownership मिलती है। आप जैसे-जैसे उस कंपनी को समझते हो, वैसे-वैसे आपके investment decisions भी ज़्यादा informed हो जाते हैं।
Mutual Funds के साथ Stocks को Balane करें
Mutual funds का फायदा यह होता है की आपका पैसा professional fund managers handle करते हैं, जो आपके लिए stocks select करते हैं। लेकिन अगर आप अपना थोड़ा पैसा direct stocks में भी इन्वेस्ट करते हो, तो आप अपने portfolio को और भी dynamic बना सकते हो। Stocks में invest करना risky हो सकता है, लेकिन अगर सही तरीके से किया जाये तो यह आपको mutual funds से ज़्यादा returns भी दे सकता है।
Retirement की Planning ना करना: एक बड़ी भूल
अक्सर लोग अपनी current financial needs और short-term goals पर इतना focus कर लेते हैं की retirement planning को ignore कर देते हैं। लेकिन अगर आपने अपने retirement के लिए आज से planning नहीं की, तो भविस्य में आपको काफी financial challenges face करने पड़ सकते हैं। Retirement एक ऐसा स्टेज है जिसमे regular income sources बंद हो जाते हैं, लेकिन आपके खर्चे वैसे ही जारी रहते हैं। इसीलिए आज से ही उसके लिए प्लान करना ज़रूरी है।

Inflation का Impact
आज जो चीज़ ₹100 में मिल रही है, वो 20-30 साल बाद ₹500 या ज़्यादा की हो सकती है। Inflation का impact समझना ज़रूरी है क्यूंकि आपके retirement के दौरान भी महंगाई लगातार बढ़ती रहेंगी। अगर आपने retirement के लिए proper planning और nvestments नहीं किये हैं जो inflation को beat कर सके, तो आपका सेविंग्स काफी नहीं होगा।
Healthcare Costs
Retirement के बाद healthcare expenses बढ़ने के chances होते हैं। Old age में आपको doctor visits, medicines और healthcare services की ज़रुरत ज़्यादा होती है, जो काफी महंगी होती हैं। अगर आपके पास sufficient savings नहीं होंगे, तो यह costs आपको काफी दिक्कतों में डाल सकती है।
Dependence on Others
अगर आप retirement के लिए खुद प्लानिंग नहीं करते, तो आपको अपने बच्चों या परिवार के सदस्यों पर financially dependent होना पड़ सकता है। आज के ज़माने में हर कोई अपनी जिंदगी में व्यस्त रहता है और यह dependency आपके लिए और उनके लिए uncomfortable हो सकती है। Self-dependent होने के लिए आपको अपना retirement fund आज से ही बनाना ज़रूरी है।

Compounding का Power
अगर आप retirement के लिए आज से invest करना शुरू करते हैं, तो आप compounding का benefit ले सकते हैं। Compounding का मतलब है की आप जो interest कमा रहे हो, वो interest आपके principal amount के साथ जुड़ता है और आपके returns exponentially बढ़ने लगते हैं। अगर आप early investment शुरू करते हैं, तो छोटी-छोटी amounts भी retirement तक काफी बड़ी हो जाती हैं।
उदाहरण: मान लीजिये, अगर आप 30 साल की उम्र में ₹5000 महीने का invest करते हैं और 10% का annual return मिलता है, तो 60 साल की उम्र तक आपके पास ₹1.14 करोड़ हो जायेंगे। लेकिन अगर आप 40 साल की उम्र में शुरू करते हैं तो वही amount सिर्फ ₹39 लाख बनेगा। Early planning और investing का फर्क retirement में काफी बड़ा हो सकता है।
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